🕉 फीस काम होने के बाद | पहले वशीकरण बाद में पैसा | पहले काम फिर पैसा वशीकरण | Lost Love Marriage Specialist 👉 यह पोस्ट सामाजिक तौर पर गलत हो सकती है पर मुझे समाज की कोई चिंता नहीं, समाज मेरे मुताबिक नहीं चलता तो मैं समाज के मुताबिक क्यों चलूं। फेसबुक और गूगल पर ऐसे बहुत से लोग है जो इस्लाम और ईसाई धर्म की निंदा करते है और अपने आपको श्रेष्ठ हिन्दू कहते हैं। ऐसे लोगों से मुझे बहुत नफरत है। मेरे गुरुदेव का कहना था कण-कण में ईश्वर है। इस हिसाब से ईश्वर हर जाति और धर्म के लोगों में निवास करता है तो भेदभाव किस बात का, मेरे गुरुदेव कहते थे भेड़ बकरियां झुण्ड में चलती है पर सिंह सदैव अकेला चलता है। उनका कहना था सिंह बनो और अकेले आगे बढ़ो दुनियां तुम्हारे पीछे आएगी। यदि प्रेम विवाह बुरा होता तो हमारे शास्त्रों में गन्धर्व विवाह का उल्लेख कभी नहीं आता और भगवान श्री कृष्ण रुक्मणी को भगा कर शादी कभी नहीं करते। मेरे गुरुदेव का कहना था “जब तक मन संतुष्ट न हो तब तक प्रभु भक्ति नहीं हो सकती इसलिए जो खाने को मन करे वह खाओ जो पीने को मन करे वह पियो अपने मन को संतुष्ट कर लो।” जी हां, यह तो आपको भी पता
पहले काम फिर पैसा वशीकरण | पहले वशीकरण बाद में पैसा | Lost Love Marriage Specialist | Vashikaran Love Marriage Specialist Mumbai
🕉 पहले काम फिर पैसा वशीकरण | पहले वशीकरण बाद में पैसा | Lost Love Marriage Specialist | Vashikaran Love Marriage Specialist Mumbai ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ 👉 यह पोस्ट सामाजिक तौर पर गलत हो सकती है पर मुझे समाज की कोई चिंता नहीं, समाज मेरे मुताबिक नहीं चलता तो मैं समाज के मुताबिक क्यों चलूं। फेसबुक और गूगल पर ऐसे बहुत से लोग है जो इस्लाम और ईसाई धर्म की निंदा करते है और अपने आपको श्रेष्ठ हिन्दू कहते हैं। ऐसे लोगों से मुझे बहुत नफरत है। मेरे गुरुदेव का कहना था कण-कण में ईश्वर है। इस हिसाब से ईश्वर हर जाति और धर्म के लोगों में निवास करता है तो भेदभाव किस बात का, मेरे गुरुदेव कहते थे भेड़ बकरियां झुण्ड में चलती है पर सिंह सदैव अकेला चलता है। उनका कहना था सिंह बनो और अकेले आगे बढ़ो दुनियां तुम्हारे पीछे आएगी। यदि प्रेम विवाह बुरा होता तो हमारे शास्त्रों में गन्धर्व विवाह का उल्लेख कभी नहीं आता और भगवान श्री कृष्ण रुक्मणी को भगा कर शादी कभी नहीं करते। मेरे गुरुदेव का कहना था “जब तक मन संतुष्ट न हो तब तक प्रभु भक्ति नहीं हो सकती इसलिए जो खाने को मन करे वह खाओ जो पीने को मन करे वह पियो अपने मन को संत